यह वो सात दिन हैं जब मेरे पेरेंट्स को एक फॅमिली फंक्षन में जाना था और ट्रेन की एक टिकेट कन्फर्म्ड नही थी… तो वो मुझे अपने ही पड़ोस में रहने वाली एक आंटी के पास छोड़ गये. आंटी हमारी बहुत करीबी थी क्यूँ कि तलाक़ के बाद वो अपनी बेहन अनु के साथ अकेली रहती थी ….. उनका हमारे घर पे बहुत आना जाना रहता था.
देसएंबेर में मेरे स्कूल एग्ज़ॅम ख़तम हो गये थे , पर आंटी के स्कूल खुले
थे. आंटी सरकारी स्कूल में टीचर थी और उसकी बेहन अनु कॉलेज में थी.
पहला दिन 1 : सुबह 7 बजे मेरे पेरेंट्स मुझे आंटी के घर छोड़ के चले गये.
आंटी स्कूल जाने तो तय्यार थी. अनु बाथरूम में कपड़े बदल रही थी. मैं
ड्रॉयिंग रूम में बैठ गया. मुझे अनु से बहुत अट्रॅक्षन था और यह सोच के
वो कपड़े बदल रही है, मेर मन बेकाबू होने लगा था.
जल्दी ही वो तय्यार हो के कॉलेज चली गये और मैं अकेला रह गया. आज उसका
लास्ट पेपर था. मैने उसको बेस्ट ऑफ लक कहा और उसको जाते हुए देखा रहा.
रूम की तन्हाई में उसकी याद आ रही थी. मैं अपने आप को खुश करने के लिए
बाथरूम में चला गया. वहाँ पे अनु की नाइट ड्रेस दरवाज़े के पीछे तंगी हुई
थी और पास की बाल्टी में कुछ कपड़े थे, जो कि धोने के लिए रखे थे. मेरा
दिल ज़ोर से धरक रहा था. मैने अनु की नाइट ड्रेस को चूमा… उस की खुशुबू
से मैं और ज़्यादा एग्ज़ाइटेड हो गया…. थोड़ा और देखने पे पता चला के पास
रखे कपड़ो में कुछ पॅंटीस और ब्रा भी थी… पर कौन सी ब्रा-पॅंटी अनु की और
कौन सी आंटी की है, पता नही चल रहा था… मैं सेक्स से पागल हो चुक्का था
और सब की सब पॅंटिस को चाटने लग गया…
मैं पूरी जीभ निकाल के पॅंटीस को चाट-चूस रहा था.. एक अजीब सा नशा और
जुनून मेरे सिर पे सवार था. पॅंटीस में उनका माल चिपका हा , उनका पानी
लगा था, जो सूख के धब्बा सा बन गया था… मेरी जीभ ने एक एक धब्बे को चाट
के साफ कर दिया… फिर मैं दोबारा नाइट ड्रेस को चूमने लगा….
मेरा एक हाथ मेरे लंड को सहला रहा था… और ना जाने कितनी बार मेरा लंच
अपना माल छोड़ चुक्का था… मेरे पास पूरा दिन था, सो मैं एक पॅंटी और एक
ब्रा बाथरूम से ले आया और बेड पे लेट गया. मैने पॅंटी को मुँह में डाल
लिया, और ब्रा अपने चेहरे पे रख लिया…. ज़्यादा माल छोड़ने और मज़े लेने
की वजह से मैं सो गया….
आंटी : आररी.. यह क्या… सूबी.. उठो… सूबी…
मैं सकपका गया.. आंटी सामने थी, मेरे मुँह में ब्लॅक पॅंटी थी और ब्रा
मेरे माथे पे थी…. कुछ बोल भी नही पा रहा था मैं….
आंटी ने एक ज़ोरदार थप्पड़ मेरे मुँह पे मारा… मैं होश में आया..और उनके
कदमो में गिर पड़ा…
आंटी : तुम ने मेरी पॅंटी और अनु की ब्रा … यह सब क्या है सूबी ?
मैं क्या जवब देता.. बस रो पड़ा और उनके पैर पकड़ लिया….और उनपे अपना सिर रख दिया.
मैं चुप रहा… एक और ज़ोरदार थप्पड़ मेरे मुँह पे लगा… आंटी ने अपने सॅंडल
से मेरे मुँह पे लात मारी और मैं नीचे गिर गया… मेरे होंठो के किनारे पर
कट लग गया…
आंटी : बोलो.. तुम्हे क्या मज़ा आया… सच बोलना
"जी मज़ा आया था"
आंटी : क्या मज़ा आया था.. जवाब दो?
"जी टेस्ट, खुसुबू और…."
आंटी : और क्या ?
"जी मुझे बहुत अट्रॅक्षन थी… मुझे बहुत प्यास थी…"
आंटी: प्यास.. ह्म्म…
आंटी कुर्सी पे बैठ गयी और मैं ज़मीन पे…. उनका एक पैर मेरे शोल्डर पे था
और दूसरा मेरे लिप्स पे. उन्हो ने अपने पैर की उंगलियाँ मेरे मुँह में
डाल दी ….
आंटी : चॅटो मेरे तलवे और उंगलियाँ…. ठीक से चाट. अगर मैं खुश हो गयी तो
तुझे बहुत कुछ टेस्ट करवा दूँगी… समझा.
मैं उनके पैर चाटने लगा.
फर्स्ट डे तो आंटी के पैर चाटने और चूमने में बीत गया.
शाम को अनु आ गयी और फिर हम लोग टीवी देखते रहे.
मैं सोच रहा था कि चलो अनु ना सही, कम से कम आंटी के पैर तो चूम ही किए
और दोनो की पॅंटीस से उनका रस भी चूस ही लिया…
मैं बाहर वाले रूम में, जो अनु का था, उस में सो गया और अनु आंटी के रूम
में सो गयी.
रात भर मैं अनु की कपबोर्ड को खोल के उस में से पॅंटीस ढूढ़ता रहा.. पर
सब की सब साफ ही थी… फिर बेड में मॅट्रेस के नीचे से एक पॅंटी मिली जो
अनु के माल से भरी थी. उसको चाट्ता चाट्ता सो गया.
दूसरा दिन :
सुबह उठा और अपना पाजामा देख के मेरे होश उड़ गये.. सारा पाजामा आगे से
मेरे माल से भरा था और रात सोए सोए मैने अनु की पॅंटी पता नही कब अपने
लंड पे रख ली… वो भी मेरे माल से लबा लब भरी थी.
मैने सोचा अनु को जब यह पॅंटी मिलेगी तब तक माल सूख जाएगा, उसे क्या पता
चलेगा के यह माल कौन सा है… मैने पॅंटी फिर से मॅट्रेस के नीचे छिपा दी.
अपना पाजामा बदल लिया और नहाते हुए धो दिया.
आंटी : अरे सूबी, यह क्या… तुम ने अपने कपड़े क्यूँ धो दिए… सारे कपड़े
एक साथ वॉशिंग मशीन में ही धो लेते हम लोग?
मैं बोला : नही… बसस्स वैसे ही….
अनु : दीदी लगता है यह बहुत साफ सफाई रखते हैं…
यह सुन कर मेरे अंदर अजीब सी एग्ज़ाइट्मेंट आ गयी और आंटी भी पिछले कल की
बातें याद कर के मुस्कुरा दी… अनु को क्या पता कल आंटी ने मेरी कौन सी
सफाई देखी थी !!!
अनु हम लोगों की शैतानी भरी मुस्कुराहट जान नही पाई और हम ने भी नॉर्मल
हो के अपने कारनामे छुपा लिए.
ब्रेकफास्ट के बाद, आंटी अपने स्कूल चली गयी और अनु कपड़े धोने के लिए
बातरूम में आ गयी. मैं अकेला बोर हो रहा था तो मैं भी बाथरूम में जाने
लगा. दरवाज़े से देखा तो अनु वहाँ कपड़े वॉशिंग मशीन मैं डाल रही थी…
मेरा दिल धड़क रहा था….
अनु : तुम यहा क्या कर रहे हो
मैं बोला "कुछ नही.. कमरे में बोर हो रहा था तो सोचा आप की हेल्प कर दूं…
अनु शर्मा के बोली : ठीक है तुम यह कपड़े बाहर सुखा दो….
मैं ने सलवार कमीज़ उठाए और बाहर सूखाने चला गया.
अनु ने अब पॅंटीस और ब्रा निकाले बकेट से निकाले और वॉशिंग मशीन में डाल
दिए… वो मेरे सामने यह सब धोना नही चाहती होगी… मैं भी चुप चाप देखता
रहा.. अनु हैरान थी के यह सब इतने साफ कैसे हैं. फिर उसे अपनी पॅंटी की
याद आई और वो अपने रूम में, जहाँ रात को मैं सोया था, वहाँ गयी… और मेरे
माल से भरी पॅंटी उठा लाई….
जैसे ही उसने पॅंटी देखी, वो हैरान थी के कल रात की पॅंटी अभी भी कैसे गीली है…
उसने माल को, जो कि रात को मैने उस में छोड़ा था, को टच किया. कुछ हैरान हुई.
अब शायद वो समझ गयी थी के यह काम मेरा है क्यूँ कि पॅंटी की आगे की साइड
साफ थी, जो मैने चॅटी थी पर पॅंटी की बॅक साइड, जो रात को अंजाने में
मेने अपने लंड पे रख ली थी, गीली थी.
वो जान गयी के मैने उसकी पॅंटी चॅटी और फिर अपना माल उस में छोड़ दिया
उसने पॅंटी के गीले हिस्से को चूमा और शायद थोडा सा चाट भी लिया…. वो
अचनाक घूमी और हम दोनो की नज़रें मिली…..
वो हैरान थी.. उस के हाथ में उसकी पॅंटी, होटो पे माल का गीलापन और पीछे खड़ा मैं….
मैं बोला " दीजिए.. इस को मैं सॉफ कर देता हूँ"
अनु – नही रहने दो….
मैं भी चुप रहा. वो भी काम निपटाती रही.
वो मुझ से आँखे चुरा रही थी और मैं बेशरम सा उसको देख रहा था. आख़िर मैने
चुप्पी को ख़तम किया…..
मैं बोला "अनु दीदी, मैं आप की पूरी इज़्ज़त करता हूँ और आप के राज राज
ही रखोंगा… सच"
अनु चुप रही….
मैने अनु का हाथ अपने हाथ में लिया , अनु ने हाथ छुड़ाने की कोशिश नही
की. बॅस मुझे एक झलक देखा और नज़रें झुका ली. अनु ने अपना हाथ हटाना चाहा
पर मैने हाथ नही छोड़ा…
अनु – अब हाथ छोड़ दीजिए… सूबी
मैं बोला "अगर नही छोड़ा तो…"
अनु – प्लीज़.. सूबी
मैं बोला "क्यूँ कुछ कुछ होता है क्या
अनु – कुछ नही बहुत कुछ होता है….
यह कह के वो किचन में भाग गयी और मैं भी पीछे पीछे वहाँ चला गया.
मैने पीछे से उसको झप्पी डाल दी, अनु ने भी छूटने की फॉरमॅलिटी की … पर
मेरी झप्पी से बाहर नही निकली..
अनु – चाइ पीयोगे या कॉफी..
मैं बोला " जो तुम पिलाना चाहो.."
अनु – ज़हेर दे दूं
मैं बोला " आपका ज़हेर भी पीने को तय्यार हूँ
अनु – मेरा ज़हेर … बहुत नशीला है
मैं बोला " हां जानता हूँ"
अनु – कैसे जानते हो ?
मैं बोला " कुछ कल दिन में और बाकी कल रात को टेस्ट किया था…."
अनु शर्मा गयी …. "तुम्हे कैसा लगा यह सब करके?"
मैं बोला " बहुत नज़र आया .. मज़ा आ गया…"
अनु – हां, कितना मज़्ज़ा आया वो तो मैने भी देखा….
मैं भी हँसने लगा…. "हां क्यूँ नही…."
अनु – पर तुम्हे क्या मिला , कैसा टेस्ट था मेरा…
मैं बोला "बहुत ही नशीला, मीठा, नमकीन… उस वक़्त टेस्ट की किस को समझ
रहती है… उस वक़्त तो बॅस एक जुनून सवार होता है… अब असली ज़िंदगी में तो
मौका मिला नही, तो बॅस पॅंटीस चाट के ही काम चला लिया"
क्रमशः...................
गतान्क से आगे............... अनु – कभी असली ज़िंदगी में कोशिश नही की मैं बोला "हिम्मत नही हुई?" अनु – अच्छा.. … कभी कभी हिम्मत भी करनी चाहिए.. यू नो नो पेन, नो गेन… हाइयर दा रिस्क, मोर आर दा प्रॉफिट्स.. सिंपल.
यह कहते हुए अनु सोफे पे बैठ गयी और एक अंगड़ाई लेने लगी… उसकी टाँगे कुछ खुली सी थी…. मैं ज़मीन पे घुटने रख के बैठ गया..
अनु – यह क्या कर रहे हो… मैं बोला – "कुछ नही.. हिम्मत कर रहा हूँ….
अनु ने मुस्कुराते हुए अपनी एक टाँग मेरे कंधे पे रख दी… मैने भी अपना मुँह उनके सेंटर पॉइंट पे रख दिया.. अनु का हाथ मेरे सर के बालों मे था और वो उसको दबा रही थी… उस के मुँह से ठंडी आहे निकल रही थी….
मैने उसका ट्रॅक सूट का एलास्टिक थोड़ा सा नीचे किया और उसकी खुसबू में डूब गया… लंबे लंबे साँस लेने लगा..
मैं बोला – "तुम्हारी खुसुबू ने मुझे दीवाना बना दिया है… " अनु शरम से लाल हो गयी और उसने अपनी टांगे उपर उठा ली.. मैने ट्रॅक सूट को खींच के उतार दिया और उस के पिंक लिप्स जो छ्होटे छोटे वाले ट्रिम्म्ड बालों से घिरे थे, उनको चूमने लगा….
मेरे होटो पे एक अजीब सी मस्ती छाई थी… जीभ भी ललचाई हुई थी और मैं उसकी नरम कली का रस पीना चाहता था… जीभ को बाहर निकाल के मैं उस की सेंटर पॉइंट को चाटने लगा और उसने मेरा सर ज़ोर से पकड़ लिया और धीरे धीरे मेरी जीभ को अंदर आने का रास्ता देने लगी….
आ… उफ़फ्फ़… और अंदर… थोड़ा तेज़ी से.. उपर.. नीचे… अंदर… चूसो… चॅटो….. पता नही क्या क्या बोल रही थी वो और मैं भी एक स्लाव की तरह जैसे वो बोलती रही, करता रहा…. उसका रस छूट रहा था और मैं अपनी प्यास भुजा रहा था…..
अनु- तुम तो बिल्कुल पागल हो गये हो… मैं कुछ ना बोला और चाट्ता ही रहा… बोलने का टाइम ही कहाँ था… बस जितना टाइम था मैं चाटने में ही बिताना चाहता था…
अनु- क्या मेरा रस तुम को इतना पसंद है… बताओ ना कैसा टेस्ट है ? मैं बोला – बहुत पसंद है…. टेस्ट बहुत स्वाद है जी अनु भी काफ़ी देर तक मज़े लेती रही…
फिर हमे टाइम का ख़याल आया… मैं तो जैसे अनु के सेंटर पॉइंट पे ही चिपका रहना चाहता था…उसने मुझे अपने सेंटर पॉइंट से हटाया और बाथरूम चली गयी. मैं भी उसके पीछे पीछे वहाँ पहुँच गया…
अनु – अब बाथरूम मे तो अकेला जाने दो मैं बोला – "अगर आप बुरा ना माने तो मैं अपने हाथों से आप के सेंटर पॉइंट को धोना चाहत हूँ…."
अनु हंस पड़ी और बोली – तुम तो बिल्कुल पागल हो.. दिल नही भरा अभी तक…चलो आ जाओ … और वो खड़ी हो गयी.. मैं बैठ के उसके सेंटर पॉइंट को धोने लगा…. मेरा हाथ उसके पीछे भी जाने लगा… वो मुस्कुरई… मैं भी जान भूझ के उपर हुआ और अपना मुँह बिल्कुल उसके हिप्स के पास ले आया…
मैं बोला "एक और हिम्मत करना चाहता हू.." अनु – अब क्या… बोलो ?
मैने बोलने की जगह हिम्मत दिखाना बेहतर समझा और एक बार उसकी बॅक हिप्स को चूमा…. वो ज़ोर से घूमी..और बोली "अरे अरे यह क्या कर रहे हो… यह कौन से जगह है पता है ना…."
मैं चुप रहा और चूमता रहा.. और वो हँसती रही… मैने उसके हिप्स को हाथों से पकड़ के खोला… अनु – अरे अरे बेवकूफ़, अब तुम यह क्या कर रहे हो… गंदे गंदे कहीं के… छोड़ी .. अइया मत करो नाआ….
आज मैं एक औरत के रंग देख रहा था… वो चाह भी रही थी के मैं उसकी बॅक साइड को भी चाट लूँ और इसी लिए वो और झुक गयी ताकि मेरी जीभ को उसकी बॅक साइड में जाने का रास्ता मिल जाए और दूसरी तरफ वो मुँह से मना भी कर रही थी…
अनु – तुम नही मनोगे.. गंदे कहीं के.. चलो जैसी तुम्हारी मर्ज़ी… यह कहते हुए उसने मुझे अपने हाथों से ज़ोर लगा के अंदर दबा लिया. कुछ देर बाद मैने अपना मुँह बाहर निकाला… मैं बैठा बैठ थक भी गया था और बाहर जाने लगा..
अनु – अरे सूबी, चाट चाट के तुम ने मेरी बॅक साइड गीली कर दी.. इस को साफ नही करोगे… चलो पानी और साबुन से इस को भी अच्छी तरह से सॉफ कर दो. फिर मैने तय्यार हो के अपनी सहेली के घर जाना है…
मैने अनु की बॅक साइड भी सॉफ की और वो तय्यार होने लगी….. बाहर जाते हुए मैं उसका मुँह चूमने लगा…..
अनु – पीछे हटो.. तुम मुँह मत चूमना, मेरे लिप-स्टिक और मेकअप खराब हो जाएगा.. वैसे भी तुम्हारा मुँह गंदा हो गया है… चलो जाओ और रसोई में आज बर्तन तुम सॉफ कर दो… नही तो मैं लेट हो जाउन्गि…
मैं कुछ हैरान था, पर उस वक़्त उसके रस का नशा और सेक्स की एग्ज़ाइट्मेंट इतनी थी के उसकी बातें मुझे बुरी नही लगी और मैं चुप चाप रसोई में चला गया. जो काम अनु ने करने थे, वो मैने निपटा दिए.
अनु – "सूबी, आज जब मैं पार्टी के बाद घर आउन्गि तो मौका देख के मेरे रूम में आना… शायद तुमहरे मतलब का कुछ काम निकल आए…"
मैं बोला "ज़रूर.. ज़रूर आ जाउन्गा"
अनु चली गयी. कुछ देर के बाद आंटी स्कूल से वापस आ गयी. उनके घर में आते ही मैने उनके सॅंडल खोले और पैर सहलाने लगा. आंटी मुस्कुराती रही और मुझे फ्रिड्ज से जूस लाने को कहा. मैने जूस सर्व किया
आंटी कुर्सी पे बैठी थी और मैं ज़मीन पे बैठ के उनके पैर और टांगे दबा रहा था.
आंटी ने कुछ देर बाद अपने आप को कुर्सी पे थोड़ा और सार्क लिया और अब उनका एक पैर मेरे कंधे पे और दूसरा मेरे मुँह में था…फिर धीरे धीरे आंटी ने मुझे अपने पास कर लिया….
आंटी की सारी में मैं काफ़ी उपर तक टांगे दबा रहा था… मैं उनके घुटने से उपर अपने हाथ ले गया… आंटी ने टांगे और खोल दी…अब मेरे हाथ उनकी टाँगो को सहलाते हुए आगे बढ़ रहे थे.
अचानक डोर बेल बजी. मैं दरवाज़ा खोलने गया और आंटी ने अपनी सारी ठीक की. पड़ोस से कोई पेरेंट्स आए थे, अपने बच्चे की ट्यूशन के लिए… आंटी उठी और उनसे मिलने ड्रॉयिंग रूम में चली गयी.
मैं अंदर वाले रूम में बैठ के अल्लाह का शुक्रिया कर रहा था के मुझे ज़न्नत के नज़ारे आ गये …..
तीसरा दिन
दूसरे दिन का कुछ मज़ा पड़ोसियों के आने से किरकिररा हुआ … फिर शाम तक आंटी अपने काम में बिज़ी रही. मैं भी टीवी देखता रहा और मन ही मन अनु का इंतेज़ार करता रहा….. शाम 7 बजे अनु वापिस आई , मैं नॉर्मल बना रहा और रोज़ की बातें करता रहा. मैं अनु के रूम में जाने का मौका ढूँढ रहा था. अनु मेरी बेचेनी को समझ गयी और बोली "सूबी तुम दिन में कह रहे थे तुम्हे इंटरनेट से कुछ डाउनलोड करना है… जा के कर लो.. कंप्यूटर अब फ्री है…"
मैं बोला " थॅंक यू दीदी.." उसको दीदी कहते हुए बड़ा अजीब लग रहा था पर आंटी के सामने कुछ और कह भी नही सकता था….
मैं सीधा अनु के रूम में गया और सोचने लगा के क्या "गिफ्ट" होगा जो अनु मेरे लए लाई है और फिर उसने कंप्यूटर का बहाना क्यूँ बनाया….. ओह समझा, कंप्यूटर में पासवर्ड होगा, उसे खोलने के लिए में अनु को यहाँ बुला लूँगा और फिर वो मुझे गिफ्ट देगी…
मैने अनु को आवाज़ लगाई "दीदी कंप्यूटर में पासवर्ड लगा है"
अनु अंदर आई.. कंप्यूटर टेबल पे मैं था… आते ही उसने मुझे चूमा, और कहा, "बाहर बाहर से मेरे सेंटर पे किस करो…. और फिर बेड के मट्रेस के नीचे मेरी ताज़ी पॅंटी है… चाट लो "
बिना टाइम वेस्ट किए मैने अनु की पॅंटी निकाली और चाट चाट के सॉफ कर दी.
रात को बिताना सब से मुश्किल था क्यूँ कि दोनो , अनु और आंटी एक दूसरे से खुली नही थी और इसीलिए मुझे रात को अलग कमरे में सोना पड़ता था.
मैने अपनी रातों को भी रंगीन बनाने के लिए एक प्लान बनाया.. क्यूँ ना मैं अनु को आंटी के साथ हुए काम के बारे में बता दूं और आंटी को अनु के साथ किए काम के बारे में बता दूं.. अगर दोनो की आपस की शरम टूट गयी तो मेरा डबल फायेदा होगा.
मेरे दिमाग़ में एक प्लान आ ही गया…. जिस से अनु को मैं अपने आंटी के बारे में बता दूँगा और उसे मेरे असली प्लान का पता भी नही चलेगा. मैं सोच ही रहा था के अनु मेरे कमरे में आ गयी…. बेड टी के साथ.
अनु – "जल्दी से बेड टी पी लो … और फ्रेश हो जाओ…कल जिस वफ़ादारी से तुम ने मेरी पॅंटी चॅटी, मैं खुश हूँ…"
मैं बोला "क्यूँ, पॅंटी में क्या ख़ास था… कल तो मैने आप की बॅक भी चॅटी थी.. फिर कल शाम वाली पॅंटी में क्या खास था?"
अनु "उसमें मेरा माल कम और पीशाब ज़्यादा था, पर तुम मेरे इतने दीवाने हो के बिना सोचे समझे सब चाट गये….यह सब छोड़ो.. आज दिन में मेरी सहेली भी आ रही है…. कल पार्टी में मैने उसे तुम्हारी दीवानगी के बारे में बताया था… बहुत हैरान हुई वो यह सब सुन के…. आज उसके सामने सब कुछ कर के दिखाना होगा.. कर लोगे ना……"
मैं बोला "आप का हूकम सर आँखों पे…."
मैं उठ के तय्यार हुआ और बाथरूम में चला गया. अपने प्लान के हिसाब से मैने वहाँ आंटी के कपड़े चाटने शुरू कर दिए… अनु ने देख लिया और बोली…"बेवकूफ़, यह मेरे नही, आंटी के हैं.." और हँसने लगी.
मैं बोला, " आप की दीदी, यानी मेरी आंटी, उनको भी अच्छा लगता है और वो मुझे कह के गयी है के… मैं उनकी पॅंटीस चाट के सॉफ करू और …." अनु – क्या… वो भी? तुम तो हमारे घर के सर्वेंट बन गये… पर्सनल सफाई वाले….
मैं बोला- "सिर्फ़ आप के घर का नही, आज तो आप की सहेली का भी बन जाउन्गा…" अनु – तुम तो अब मेरे गुलाम हो… पर्सनल गुलाम…" मैं बोला "बिल्कुल आप का गुलाम हूं, पर्सनल सफाई वाला… एक टिश्यू पेपर की तरह" अनु – जल्दी से दीदी के कपड़े सॉफ करो, मेरी सहेली भी आती ही होगी… उसके सामने मेरे गुलाम की तरह रहना. उस पे इंप्रेशन जमाने के लए अगर मैं तुम्हे एक-दो बार गाली दे दूं तो बुरा तो नही मनोगे…
मैं बोला – "यस में बुरा क्यूँ मानूँगा.. चाहे 2-4 गाली दे देना और चाहे 2-4 लगा भी देना… कोई प्राब्लम नही…" अनु – गुड.. इसी बात पे मुँह मीठा कर लो. अनु ने मेरा मुँह अपने होंठो से मीठा कर दिया.
कुछ देर के बाद अनु की सहेली, वीना आ गयी. मुझे ऐसे देख रही थी जैसे मैं आम लड़का ना हो के कोई अजीब सी चीज़ हूँ… एक अजीब मुस्कान थी. अनु और वीना, दोनो के चेहरे पे एक मुस्कान शैतानी खेल खेल रही थी…. मैं भी बहुत एग्ज़ाइटेड था कि आगे क्या होगा. क्रमशः...................
गतान्क से आगे............... मैं दोनो के लिए फ्रेश जूस लाया और फ्रूट्स काट के प्लेट मे सज़ा दिए. ड्रिंक्स और फ्रूट सर्व कर के मैं भी सोफे पे बैठने लगा तो अनु बोली.. यहाँ नही, अपनी जगह पे बैठो.. उसकी उंगली का इशारा ज़मीन पे था.. मैं उनके कदमो में बैठ गया….
अनु ने अपने झूठे ग्लास में अपना बचा हुआ जूस मुझे पीने को दिया… जो मैने खुशी खुशी पी लिया… यह देख के वीना भी मुस्कुरा दी और बोली… "यह चाट पहले" और उसने अपने ग्लास से 2-4 बूँद जूस अपने सॅंडल पे गिरा दिए.. मैने उसके सॅंडल से जूस चाट लिया… मैं जानता था के इन को खुश कर दिया तो अनु मुझे सब कुछ दे देगी जो मैं बड़ी बेकरारी से चाहता था…
अनु – वीना, तू वो सीडी लाई आई ना.. वीना – लाई हूँ.. चल आ, देखते हैं अनु – सूबी, तुम जा के यह सीडी लगाओ. और जल्दी से देख लो तुम्हे क्या करना है वीना – हां, सारे स्टाइल्स देख लो, आज तुम्हे हम लोग ट्रैनिंग देंगी दोनो हंसते हुए फ्रूट्स खाने लगी मैं सीडी ले कर अनु के कमरे आया और पासवर्ड मुझे पता था तो फटाफट कंप्यूट ऑन किया और सीडी लोड कर दी.
सीडी इंटरनेट से डाउनलोडेड थी जिस में फीमेल डॉमिनेशन वाली ब्लू फिल्म थी… यानी ऐसी ब्लू फिल्म जिस में आदमी एक दास या गुलाम की तरह औरत के साथ सेक्स करता है.. सीडी देख के मेरा एग्ज़ाइट्मेंट की वजह से पहले ही माल छूट गया. मेरी पॅंट आगे से गीली हो गयी…
दोनो कमरे में आ गयी और मेरी पॅंट का गीलापन देख के हँसने लगी… वीना – चलो अच्छा हुआ पहले ही छूट गया.. अब कोई डर नही अनु – ना भी छूटा होता तो भी क्या डर था. कल दिन भर यह कुत्ते की तरह मेरी चाट रहा था, एक बार भी अपनी लिमिट्स से बाहर नही गया वीना – बहुत काम का और अच्छा लड़का है अनु – लड़का नही कुत्ता है दोनो हँसती रही….
मैने सीडी शुरू से लगा दी…. दोनो बेड पे बैठी थी और मैं उनके पैर दबा रहा था… जब भी उनका दिल करता वो मेरे मुँह पे अपने पैर लगा देती और मैं चाटने लगता.. धीरे धीरे टाँग और फिर थाइस चटवाने लगी…… और फिर दोनो एक दूसरे के ब्रेस्ट चूसने लगी… और मैं उनके सेंटर पॉइंट को चाटने लगा….
दोनो ने मुझे अपना अपना माल पीलाया और मेरी जीभ को खूद अंदर तक जाने दिया….
वीना – अनु तू तो बता रही थी के यह बॅक साइड भी चाट्ता है.. अनु – हां, कल मेरी बॅक इस ने खूब स्वाद से चॅटी थी..सूबी आ के मेरी बॅक चॅटो मैने मुँह अनु के हिप्स के अंदर डाल दिया… वीना – अनु क्या इस की जीभ तेरे अंदर तक चाट रही है अनु – हां बिल्कुल अंदर तक… वीना- मुझे विश्वास नही होता अनु – सूबी, जा कर अब वीना की बॅक चॅटो.. तभी इस को विश्वास होगा के तुम मेरी बॅक के अंदर भी जीभ डाल के चाटते हो.. मैं वीना के बॅक पे पहुँच गया.. वीना जैसे पहले से ही तय्यार थी… उसने खड़े होने की जगह, दोनो हाथ और पैर पे हो गयी और अपने हिप्स उपर उठा के खोल दिए… मैं अपना मुँह उसके बीच में लगा के चाटने लगा वीना – मज़ा नही आया.. इस की जीभ ज़्यादा अंदर नही जा रही.. अनु एक कम कर.. तू इस के सर को अपने पैरों से दबा… ताकि इस का मुँह मेरे हिप्स में से ना हटे…. अनु- वाउ .. टीक है,पहले मैं इस का सर तेरे बॅक में दबा देती हूँ. फिर मैं भी ऐसे ही चटवाउन्गि अब अनु ने खड़े हो के अपने एक पैर को मेरे सेर की बॅक पे रखा और दबा दिया.. मेरा मुँह वीना की बॅक के अंदर तक गया और मेरी जीब बहुत अंदर तक घूमने लगी…
मुझे साँस लेने में भी तकलीफ़ हो रही थी, पर मैं चाट्ता रहा… मेरे मुँह को लाल होता देख अनु ने पैर हटा लिया तो मुझे साँस आने लगी. फिर वीना कर माल छूटा और मैने दोबारा से उस की फ्रंट को चूस कर सारा माल पीया.
अनु ने भी अपनी बॅक मुझ से ऐसे ही चटाई… फिर मैने दोनो को लंच सर्व किया…. अब वीना को वापिस अपने घर जाना था…. जात हुए उसने कहा – अनु लास्ट बार ज़रा सुबी को बोल के मेरे सेंटर पॉइंट और बॅक को चाट ले…. अनु ने मुझे हाथ से इशारा किया… तभी डोर बेल बजी…. और पड़ोस से कोई आंटी जी आ के बैठ गई.. शायद कुछ समान लेने आई थी.
वीना से रहा नही गया और वो मुझे बोली "सुबी भाई, ज़रा मुझे मेरी बुक्स ढूढ़ने में हेल्प करना.. मैं वीना का इशारा समझ गया. पहली बार इतनी इज़्ज़त से बोल रही थी क्यूँ की सामने कोई आंटी जी बैठी थी.
वीना रूम से होते हुए बाथरूम की तरफ चली गयी. मुझे भी आइडिया था कि वो वही गयी होगी…. वीना ने मेरे आते ही बाथरूम बंद किया और बोली – "यह ले तेरा इनाम…." और उस ने मेरे मुँह को अपने सेंटर पॉइंट से लगाया…. मेरा मुँह गरम पानी से भर गया.. वो मेरे मुँह में थोड़ा सा पेशाब भी कर रही थी…. मैने सब कुछ पी लिया. वीना – अबे गधे… साले मेरे पीशाब को भी पी गया.. शाबाश… हम दोनो बाहर आ गये. अब तक पड़ोस वाली ऑंटी जा चुकी थी.
वीना – अनु यह तो बहुत अच्छा है.. अब तुझे बाथरूम करने के लिए बेड से उठने की ज़रूरत नही अनु – हां… मतलब यह कुत्ता तेरा पीशब भी पी गया.. वीना- अच्छा तो क्या यह तेरा पीशब पी चुक्का है क्या… मैने सोचा शायद यह पहली बार है के यह मेरा पी रहा है. अनु – कल इस ने मेरे पीशाब वाली पॅंटी चॅटी थी और आज तेरा पीशाब पी गया.. वाउ
मैं अपनी तारीफ सुन के मज़े ले रहा था.
अनु – जा के नहा लो… कहीं दीदी को तुम से स्मेल ना आ जाए…वैसे भी आज दीदी के स्कूल में रिज़ल्ट निकलना है, तो आज वो जल्दी आने वाली हैं.
मैं नहाने गया , अनु वीना को छोड़ने बाहर तक गयी .
मुझे अब अपने प्लान को साकार करना था. मैं सुबह अनु को बता चुक्का था के मैं आंटी की पॅंटी भी चाट्ता हूँ और आंटी को अच्छा भी लगता है. अब बस इंतेज़ार था के अनु अपनी दीदी यानी मेरी आंटी को यह बता दे, ताकि दोनो आपस मे खुल जाएँ… अगर अनु ने अपनी दीदी से बात नही की, तो मैं खुद किसी तरह से आंटी को बता दूँगा के मैं अनु के साथ भी सेक्सी खेल खेल रहा हूँ. बॅस अब यही चाहत थी के मुझे रात को अकेले ना सोना पड़े.. दोनो आपस में खुल जाए और मेरी रातें भी रंगीन हो जाए…..
शाम भी आ गई…. मैं और अनु खूब बातें करते रहे और "खेलते" भी रहे… आंटी भी आ गयी.. वो बहुत थॅकी हुई थी.. उनको कुछ फीवर था…..
मैं बोला "क्या हुआ आंटी… आप को फीवर है क्या?" आंटी – हां शायद.. आज सारा दिन स्कूल में बहुत काम था. अनु चाइ बना के लाई और जैसे ही मैने देखा के अनु आ रही है, मैं आंटी के पैर दबाने लगा…. आंटी हैरान परेशान हो गयी क्यूँ कि तभी अनु अंदर आ गयी…. मैं मन ही मन मुस्कुरा रहा था और आंटी के पैर दबाता रहा…
आंटी – "बस सूबी.. रहने दो ना…" अनु – नही दीदी, दबाने दो, बहुत अच्छे से दबाता है… आंटी – तुझे कैसे पता.. अनु – कल मेरा पैर फिसल गया था ना, तब इस ने बहुत अच्छे से दबाया कि बिल्कुल भी दर्द नही हुई… मैं बोला – आंटी आप चाइ लीजिए, तब तक आप का फीवर भी उत्तर जाएगा……
डिन्नर अनु ने तय्यार किया क्यूँ के आंटी को फीवर ज़्यादा था. बेड पे ही डिन्नर के बाद अनु आंटी के पास बैठी थी. मैं बोला –"मैं बर्तन धो लेता हूँ , अनु दीदी आप आंटी का ख़याल रखो" अनु – ठीक है आंटी – अरी अनु, क्या करती हो, उस से बर्तन धोल्वओगि अनु – तो क्या हुआ दीदी मैं बोला – मुझे अछा लगेगा अगर मैं आप की हेल्प कर सका…
दोनो मुस्कुरा दी
आंटी के सोने तक मैं बेड पे बैठा रहा जब आंटी सो गयी तो मैं आंटी की अनु के पैर दबाने लगा…. रज़ाई मैं अब एक हाथ अनु की टाँग पे और दूसरा आंटी की टाँग पे था
कुछ देर बाद आंटी की नींद खुल गयी… तब भी मैं बैठा आंटी की टाँगो पे हाथ फेर रहा था. आंटी मुस्कुराइ और अनु की तरफ देख.. वो सो गयी थी मेरे हाथ रज़ाई में थे…. दोनो सोच रही होंगी के मैं एक की ही टाँगो पे हाथ घूमा रहा हूँ… जब के मैं दोनो को गरम कर रहा था. दोनो ही जाग रही थी पर सोने की आक्टिंग कर रही थी….
आंटी ने अनु को देखा.. वो सो रही थी.. आंटी ने मुझे दूसरे कमरे में जाने का इशारा किया. ड्रॉयिंग रूम में आंटी भी आ गयी और सोफे पे बैठ गयी… आंटी – इतने सालों से दबे हुए लावा को तुम ने जगा दिया सुबी… तेरी वजह से मुझे फीवर हो गया.. यह गर्मी तेरी ही दी हुई है…
यह कहते हुए आंटी ने मुझे सोफे पे लेटा दिया और मेरे उपर चढ़ गयी… उसने अपनी एक टांग की सलवार खोली और मैने अपना पाजामा नीचे किया… आप आंटी मेरी सवारी करने लगी….. सोफा भी चूं चूं की आवाज़ कर रहा था… मैं जान के ज़्यादा हिल रहा था के आवाज़ से अनु भी वहाँ आ जाए….
अनु भी सोने का ड्रामा कर रही थी… उसे भी पता था के बाहर क्या हो रहा है.. वो भी कुछ देर के बाद बाहर आ गयी…. अनु ने चुप चाप लाइट ऑन की… अजीब नज़ारा था, पर मैं टेन्षन फ्री था… मैं सोफे पे, आंटी मेरे उपर और अनु सामने…. आंटी सकपका गयी.. पर अनु की हँसी छूट गयी और मेरी भी.. कुछ पल तक आंटी सन्न रह गयी फिर हँसने लगी…. अब अनु मेरे मुँह पे दोनो तरफ टाँग कर के बैठ गयी और मैं उसकी चाटने लगा…. आंटी मेरी सवारी कर रही थी….
आंटी – क्या तुम ने भी सूबी के साथ सब कुछ कर लिया? अनु – नही दीदी, यह तो सिर्फ़ मेरी चाट्ता है… आगे और पीछे से बॅस!!!! आंटी – ओह फिर तो ठीक है…. तुम भी चुदाई मत करवाना… अनु – हां , जानती हू.. पर इस की जीभ ही काफ़ी है … बहुत अच्छे से चाट्ता है… आंटी – अच्छा.. मैं भी ट्राइ करूँगी ..पर कल क्यूँ कि आज मुझे कुछ फीवर है अनु – आप का काफ़ी फीवर तो इसने उतार दिया होगा आंटी – हां .. उतारा कम और चढ़ाया ज़्यादा है … आंटी कुछ देर बाद अपना माल छोड़ के उत्तर गयी अनु – सूबी जा के अपने आप को धो लो और फिर आ जाओ रज़ाई मे…. आंटी – आने से पहले कुछ डेयाड्रांट भी लगा लेना दोनो हँसने लगी
पूरी रात मे उनकी रज़ाई मे रहा और सुबह मेरे मुँह पे , होटो पे सूजन आ गयी… मेरी जीभ पे भी दर्द हो रहा था… पर मंन अभी भी भरा नही था… एक जवान लड़की और एक प्यासी औरत का माल, उनका रस और शायद कुछ और भी मैं पी चुक्का था… क्रमशः...................
पिछली रात अनु और आंटी के साथ सोने के बाद अगले दिन की शुरुआत ही बहुत रोमांचक थी… अनु सब से पहले उठ गयी और बाथरूम में चली गयी और आंटी रसोई में जा के चाइ बना रही थी….मैं सोया हुआ था… रज़ाई में अभी तक…
मुझे जगाने के लिए अनु ने रज़ाई उठाई…. मेरे मुँह के पास अनु की पॅंटी थी… सारा चेहरा रस से भरा था जो अब सूख चुक्का था.. बॉल बिखरे थे और लिप्स कुछ सोज़िश देखा रहे थे… दोनो मुझे देख के मुस्कुरा दी…
अनु – जाओ और मुँह धो लो…और ब्रश के बाद माउत-वॉश से कुल्ला भी कर लेना… मैं मुस्कुरा दिया और कुछ शर्मा भी गया…. मैं जल्दी से फ्रेश हुआ और बाहर आ गया.. तब तक आंटी भी चाइ बना के रूम में आ चुकी थी.
आंटी – देखो इस को देख के नही लगता के यह इतना शातिर होगा अनु – शातिर भी और चालू भी मैं बोला – नही जी, मैं तो बस एक नादान प्यासा अनारी हूँ और फिर हम सब हँसने लगे.
आंटी – आज तो मेरी भी छुट्टी है. तो क्या प्रोग्राम बनाया जाए… अनु – बाहर जाने का मूड तो नही है क्या… मैं बोला – बाहर क्या करेंगे जा के अनु – हां दीदी , बाहर कहाँ जाएँगे इतनी सर्दी में आंटी – ह्म्म्म.. शैतान हो तुम दोनो….
अनु – दीदी आज आप आराम कीजिए… मैं ब्रेकफास्ट बनाती हूँ. आंटी बेड पे आ गयी और मुझे अपने टाँगों पे आते देखा तो एकदम बोली." अभी कुछ नही, बस बहुत हो चुक्का…" मैं बोला – "बॅस सिर्फ़ एक बार.. एक बार…. एक बार प्लीज़ अपनी फ्रंट & बॅक चाटने दीजिए ना…" आंटी – अभी भी मन नही भरा तेरा.. सारी रात चाट चाट के मेरे होटो को तूने सूजा दिया…. यह कहते हुए आंटी ने अपना एलास्टिक नीचे किया और मैं झट से उनके सेंटर पॉइंट पे लपका. अनु भी कमरे में आ गयी और मेरा सिर पकड़ के आंटी की सेंटर पॉइंट में दबाने लगी… आंटी – अब बस भी करो… चलो पहल नाश्ता कर लेते हैं…
पूरा दिन आंटी और अनु की मसाज की, सिर से ले कर पैर तक… बदन के एक एक पार्ट पे मसाज किया, क्रीम लगाया…
अनु – दीदी आप की टाँगों पे तो बहुत बाल आ गये हैं… आंटी – अनु अब ब्यूटी पार्लर जाने का टाइम नही मिलता और अकेले मैं कर नही सकती… मैं बोला – अब तो हम एक दूसरे की हेल्प कर सकते हैं ना… आंटी आप बताइए.. मैं और अनु दीदी, दोनो आप के बाल सॉफ करने में हेल्प करेंगे.. आंटी – ओये—तू अभी भी अनु को दीदी बोलता है अनु – ना जाने क्यूँ इस के मुँह से दीदी भी अच्छा लगता है और चटवाना भी … मज़ा आता है यह सोच के की जो मुँह मुझे दीदी बोल रहा है वोही मेरी चॅटेगा… आंटी – बहुत अच्छे…
फिर अनु और मैने आंटी के लेग्स और आर्म्स के बाल साफ किए मैने कैंची और फिर रेज़र से आंटी के आर्म-पिट्स (बगल) भी सॉफ किया.. आंटी बहुत खुश हो गयी के मैं उनकी वहाँ भी सॉफ सफाई करने से नही हिचक रहा. और मज़ाक मज़ाक में सेंटर पॉइंट के बाल सॉफ करने का टॉपिक शुरू हो गया… मैं ज़मीन पे बैठ गया और आंटी कुर्सी पे…. बॅस बाल छाँते और फिर शुरू हो गया कैंची के साथ…. आइर स्ट्रीप, ट्रिम्म्ड बुश और ना जाने कैसे कैसे स्टाइल्स बनाए उनके नीचे के बालों के.
अनु ने गूगल सर्च से नीचे के बालों के कुछ डिज़ाइन्स दिखाए और हम सब मस्ती करने लगे… फिर मैने एर स्ट्रीप वाला डिज़ाइन अनु के सेंटर पॉइंट पे बनाया… बहुत ही मज़ेदार खेल था यह सब. एक रूल, मेषर्मेंट टेप और रेज़र के साथ मैं बैठ के, नाप नाप के उनके सेंटर पॉइंट पे हेर कट बना रहा था….
दिन में लंच करने के बाद हम लोगों ने सीडी प्लेयर पे फिल्म लगा ली और मैं हमेशा की तरह उन दोनो के नीचे रज़ाई में ही रहा….
शाम को हम लोग बाज़ार गये और मेरे लिए आंटी ने शर्ट खरीदी . अनु ने अपने लिए एक टॉप और आंटी ने नयी नाइटी खरीदी हम ने डिन्नर बाहर ही किया.
घर आते आते हम काफ़ी थक चुके थे. मैने गेयिज़र से गरम पानी निकाला और एक टब में डाल के बेड रूम में ले आया… वहाँ पे मैने अनु और आंटी के पैर धोए …..
अनु – क्या तुम हमारे पैरों वाले पानी से अपना मुँह धो सकते हो आंटी – कमाल है, यह क्या बदतमीज़ी वाला सवाल है .. सूबी तुम्हे ऐसा कुछ नही करना है.. अनु तुम बिल्कुल बदमाश होती जा रही हो अनु – दीदी शरत लगा लो, अगर मैं कहूँगी तो सूबी यह पानी पी भी लेगा.. आंटी – चुप कर… क्यूँ उसको तंग कर रही है अनु – बोलो सूबी.. तुम यह हमारे पैरों वाला पानी पी सकते हो… चलो इस पानी का एक घूँट पी के दिखाओ आंटी कुछ बोले इस से पहले मैने अपने हाथ में थोड़ा सा पानी लिया और पी लियाअ…
अनु – शाबाश मेरे कुत्ते… हाहहाहा आंटी – सच में तुम दीवाने हो सूबी मैं बोला –" यह पानी क्या मैं तों कहता हूँ आप लोगों को रात में बेड से उठने की भी ज़रूरत नही.. मैं हूँ ना आप के लिए… अनु एक शरारती हँसी में खो गयी.. वो जानती थी के मेरा इशारा किस तरफ है आंटी ने प्यार से मुझे एक किस दिया
आंटी – आज जल्दी से सो जाओ, कोई शरारत नही क्यूँ कल हम घूमने के लिए शिमला जाएँगे…. मैने अनु की ओर देखा, इस उम्मीद से के अनु बाहर जाने को मना कर देगी, पर इस बार अनु भी चुप रही. मैं थोड़ा दुखी था क्यूँ के बाहर जाने से मुझे उनका का रस पीने को न्ही मिलेगा…
मुझ से रहा नही गया और मैने पूछ ही लिया "आंटी घर पे इतना मज़ा आ रहा है फिर..
आंटी – आज तुम्हारे कहने पे हम घर पे ही रहे, अब कल मेरे कहने पे शिमला चलो मैं बोला – "पर शिमला, इतना दूर , क्यूँ?" अनु बीच में बोली – सूबी… शिमला कहा तो शिमला चलो… आंटी उठ के बाहर चली गयी
अनु- ओये सूबी भाई.. शिमला से दीदी की कुछ यादें जुड़ी हैं… अब वो 10 साल बाद शिमला की तरफ जा रही हैं और तुम सवाल पे सवाल पूछ रहे हो… मैं बोला – सॉरी… ठीक है कल चलेंगे शिमला
आंटी कुछ सीरियस हो गयी थी.. शायद बाहर गॅलरी में थोड़ी देर तक रो के आई थी… सारा माहौल सीरीयस था. हमे सुबह 5 बजे निकलना था. हम सब ठीक से बिना ज़्यादा शरारते किए सो गये.
पाँचवा दिन : दा शिमला ट्रिप
हम जल्दी ही उठ गये और सुबह 5 बजे तक तय्यार हो गये. मेरा मुँह और जीभ बहुत अच्छा फील कर रहे थे, आख़िर 4 दिन बाद मेरी जीभ को आराम मिला था. आंटी हमसे पहले उठ के संड्वीचेस बना रही थी और अनु कार को सेट कर रही थी.
मैने रात को 2-3 बॅग्स जो हम ने पॅक किए थे, कार में लोड कर दिए. और हम सब तय्यार हो के शिमला की ओर चल दिए.आंटी ड्राइव कर रही थी. अनु आगे बैठी थी और मैं बॅक सीट पे…. जैसे ही हम चंडीगढ़ से सोलन में एंटर हुए, बारिश शुरू हो गयी…
अनु – दीदी मुझे बाथरूम आया है आंटी – रुक जा, अभी बारिश बहुत तेज़ है और हवा भी बहुत है… अनु – दीदी सिर्फ़ कार साइड में रोक दो, आप शायद भूल गयी, हमारे साथ सूबी भी है.. आंटी – चुप कर शैतान.. तेरे दिमाग़ में पता नही क्या क्या आता रहता है.. मैं बोला – कोई बात नही , यह तो मेरा फ़र्ज़ है के मेरे होते हुए आप को कोई परेशानी ना हो….. अनु – देखा दीदी, मेरे देवाने को आंटी – वाकई यह तो पागल हो गया है .. बिल्कुल ठीक ही बोलती हो तुम इस को… पागल कुत्ता जो हमारा पीशाब भी पीने को तय्यार है.. बॅस सिर्फ़ हमारे सेंटर पॉइंट को चाटने की चाहत में सब कुछ करने को तय्यार है यह बेवकूफ़….
मुझे मुस्कुराने के इलावा और कुछ समझ नही आया..
आंटी ने एक वीरान सी जगह कार रोक दी. बारिश की वजह से ज़्यादा ट्रॅफिक भी नही था . अनु कार में अगली सीट से पिछली सीट पे आ गयी और अगली सीट को डाउन कर लिया. वो अपनी टांगे उठा के , जीन्स को घोटनो तक ले आई. मैने अपना सिर उसके टाँगों के बीच में रख दिया और मुँह सेंटर पॉइंट से लगा दिया
अनु – सूबी, तेरा इम्तिहान है.. कार में एक बूँद भी नही गिरनी चाहिए… आंटी – रुक, मैं इस के सिर को पकड़ के रखती हूँ ताकि से मुँह हटा ना सके वरना मेरी कार सीट्स गंदी हो जाएँगी.. अनु – दीदी चिंता मत करो… यह मेरे रस का इतना दीवाना है के मेरे पीशब की एक बूँद भी नही गिरने देगा..
आंटी – अर्रे पहली बार पी रहा है… अगर इस से नही पीया गया तो… अनु – पहली बार नही तीसरी बार पी रहा है. एक दिन पहले भी जब मेरा रस चाट रहा था तो भी मैने इस को अपना पीशाब पिलाया था.
आंटी – पर आज तो तुम सीधा पीशाब ही पीला रही हो ना इस दीवाने को… अनु – दीदी, बहुत चालू है यह कुत्ता.. मेरी सहेली वीना का भी पी चुक्का है…चलो सूबी तय्यार हो जाओ.. मैं कोशिष्कारूँगी धीरे धीरे करूँ ताकि तुम्हे पीने में कोई तकलीफ़ ना हो….
मैने कुछ ना बोलते हुए सिर हिला दिया और अपनी जीब को बीच में डाल दिया और अनु को गुदगुदी करने लगा… क्रमशः...................
गतान्क से आगे............... अनु – देखो दीदी, अभी भी शरारत कर रहा है… ओये सुबी.. चल अब जीभ हटा और पीना शुरू कर !!!!
आंटी हैरानी से देख रही थी और मैं अपनी मस्ती में सब कुछ कर रहा था… फिर आंटी ने मुझे एक बॉटल दी और कहा के कुल्ला कर लो. अनु ने मुझे माउत फ्रेशर की गोली दे दी अनु – मैं यह माउत फ्रेशनेर पहले से ही लाई थी… आंटी – मतलब तुम्हे पहले से ही पता था के तुम यह सब भी करोगी.. मैं बोला – थॅंक यू.
आंटी मेरे थॅंक्स कहने के अंदाज़ पे बहुत हँसी आंटी – हमे तुम्हे थॅंक्स कहना चाहिए … आख़िर तुम हमे इतनी "फेसिलिटीस" दे रहे हो… हमारा "मूवबल यरिनल " (चलता फिरता पीशाब घर) बन के….साथ में हमारी सॉफ सफाई भी करते हो…
अनु – आररी नही दीदी… यह शूकारगुज़ार है के हम ने इस को अपना रस पिलाया और इस को इस लायक समझा के यह हमारे रस को पी सके… यह हमारा एहसान है इस कुत्ते पे के हम इसे इस लायक समझ रहे हैं की इस पे अपना पीशाब कर रहे है… क्यूँ सूबी मैं बोला – जी बिल्कुल , मैं आप का शूकर गुज़ार हूँ के आप ने मुझे अपने पीशाब पीने के लायक समझा….
आंटी – हा हहा … बहुत अच्छे मेरे वफ़ादार सूबी…
थोड़ी देर में मुझे भी बाथरूम आ गया.. इतनी ठंड में इतना कुछ पीने के बाद यह तो होना ही था… अब बारिश बहुत तेज़ थी…
आंटी – तुम कैसे बाथरूम करोगे… तुम भीग जाओगे मैं बोला – मैं विंडो ग्लास नीचे उतार के कर लेता हूँ… अनु – नही सूबी, कहीं कार गंदी ना हो जाए.. तुम कपड़े उतार के बाहर जाओ और बाथरूम कर के वापिस कार में आ जाओ..
आंटी – अर्रे नही अनु, ठंड लग जाएगी इस को अनु – ठंड लग गयी तो हम इस को फिर से गरमा गर्म पीला देंगे ना दीदी… आंटी – सूबी, कुछ देर रुक जाओ… कोई रेस्टोरेंट अगर हाइवे पे मिला तो वाहा का बाथरूम तुम यूज़ कर लेना..
मुझे बाथरूम रोकना मुश्किल हो रहा था. बारिश भी तेज़ हो रही थी… जैसे जैसे पहाड़ी रास्ते पे कार टर्न करती मेरे पैट पे दबाब पड़ता और पिशाब का प्रेशर और भी ज़्यादा हो जाता….. मेरे शकल देख के अनु मज़े ले रही थी.. आख़िर में एक रेस्टौरेंट नज़र आया… आंटी ने कार रोकी पर अनु ने वहाँ उत्तरने से मना कर दिया के यह रेस्टौरेंट ठीक नही लगता… आंटी भी मुस्कुरा दी, क्यूँ के उनको पता था के अनु जान भुज के मुझे तंग कर रही है….
मेरा प्रेशर के मारे बुरा हाल था….
मैं बोला " ठीक है फिर… अब अगर आप ने कार नही रोकी तो मैं मजबूर हो के कार ही गीली कर दूँगा…"
दोनो हँसने लगी और आंटी ने कुछ देर बाद कार रोकी
आंटी – सूबी , कार का शीशा नीचे कर के बाथरूम कर लो… क्या नज़ारा होगा…. जब तुम कर के शीशे से अपना बाहर निकाल के बाथरूम करोगे….
पिछली सीट का शीशा मैने खोला और अपने आप को अड्जस्ट करने लगा पर कोई फायेदा नही हुआ… आख़िर में कार का दरवाज़ा खोला और बाहर भाग गया.. तेज़ बेरिश में , एक पॅरपेट के साथ खड़े हो के बाथरूम करने लगा और मेरे सारे कपड़े भीग गये…. तेज़ हवा ने मेरा बुरा हाल कर दिया और मेरा बाथरूम था के रुकने का नाम ही नही ले रहा था…
खैर मैं कार में वापिस आया..
अनु – गीले कपड़ो से तुम्हे ठंड लग जाएगी. कपड़े उतार दो. बॅग मैं एक शॉल है, उस को लप्पेट लो. आंटी.. हान यह ठीक रहेगा. सोलन के बेज़ार से हम कुछ खरीद लेंगे और तुम वोही पहन लेना. मैं बोला – मुझे बहुत ठंड लग रही है अनु – दीदी यहाँ रोड पे ट्रॅफिक नही है. मैं ड्राइव करती हूँ, आप सूबी की ठंड दूर कर दो.
आंटी पिछली सीट पे आ गयी और मेरे उपर लेट गयी. अनु कार चलाने लगी…. कब सोलन का बेज़ार आया और निकल गया पता ही नही लगा… मैं भी आंटी के नीचे अपने काम में मस्त रहा. हम लोग शिमला पहुँचने वाले थे तब याद आया के मेरे पास पहने के लिए कपड़े नही हैं….
हमने रोडसाइड पे ही एक होटेल में गाड़ी रोकी…. आंटी और अनु होटेल में गये और कमरा बुक किया. आंटी के कुछ कपड़े कार में थे. पार्किंग में कोई और नही था… तो मैने कार में बैठे बैठ ही , वोही सलवार कमीज़ पहने और अपना चेहरा शॉल से ढक लिया.
जैसे ही अनु ने इशारा किया मैं झट से पार्किंग से निकला और सीधा होटल की रिसेप्षन पे बिना रुके उनके साथ हो गया और सीधे रूम में जा के ही साँस ली…. अनु और आंटी मुझे जनाना कपड़ो में देख के बहुत हंस रहे थे…
हम सब ने होटेल रूम में ही ब्रेकफास्ट किया. अनु – हम जा के कपड़े ले आते हैं, तुम यही आराम करो.. सुबीए – मैं अकेला ही… यहाँ रहू. अनु – दीदी आप यही सूबी के साथ रहो… मैं कार में जा के कपड़े खरीद लाती हूँ… आंटी – ह्म्म… ठीक है….
आंटी ने रूम बंद किया और मुझे पूरा नंगा कर दिया और मेरी छाती पे बैठ गयी, दोनो पैर मेरे कंधो के साइड पे रख दिए और तोड़ा सा आगे हो के मेरे लिप्स पे अपने सेंटर पॉइंट के लिप्स से चूमा दिया… मैं भी अपने मुँह से आंटी के सेंटर पॉइंट को चूमने लगा…
धीरे धीरे आंटी बहुत गरम हो गई और मेरी छाती से उठ के सीधे मेरे लंड पे बैठ गयी और शुरू हो गयी मेरी चुदाई….. आज जैसे आंटी अपनी पीछले कई साल का जोश निकालना चाहती थी…. काफ़ी देर तक उपर नीचे होने के बाद वो मेरे तरफ अपनी बॅक कर के मेरे उपर लेट गयी…. और अब मेरे मुँह पे ताज़ी ताज़ी चुदी हुई आंटी का सेंटर पॉइंट और बॅक थी…. आंटी मेरे लंड चूस रही थी जो कि थोड़ा नरम हो गया था… पर अभी मेरा माल छूटा नही था. आंटी के चूसने से लंड फिर हार्ड हो गया…
आंटी – मेरे बॅक चाट …
मैं चाटने लगा… मेरे चाटते ही आंटी को जैसे करेंट लग गया.. और भी तेज़ी से मुझे चूसने लगी….
मैं बोला –" मेरा छूट जाएगा…"
आंटी – अभी नही…
पर मैं क्या करता… ऐसी बातों में मेरा एक्सपीरियेन्स नही था… सो मेरा माल उन के मुँह पे ही निकल गया. आंटी गुस्सा हो गयी….और थूकने लगी… वो बेड पे खड़ी हो गयी और मुझे 2-4 किक्स लगाई… फिर गुस्से से मेरे मुँह पे अपनी बॅक साइड खोल के बैठ गयी और रगर्ने लगी… मुझे साँस भी मुश्किल से आ रही थी….
कुछ देर बाद आंटी ठंडी हुई
आंटी – सूबी, आइ आम सॉरी, मैने तुम्हे मारा… पर क्या करू मुझ से कंट्रोल नही होता… मेरी सेक्स की यही दीवानगी मेरे तलाक़ का कारण थी. तभी मैने तलाक़ के बाद शादी नही की ना ही किसी के साथ सेक्स किया.. क्या करूँ मेरी सॅच्स्फॅक्षन ही नही होती. मुझे शुरू से ही शौक था कि मेरा हज़्बेंड मेरी चॅट, चूसे.. पर उनको यह पसंद नही था और उनका छूट भी जल्दी जाता था… तो मैने डिल्डो और वाइब्रटर उसे करना शुरू कर दिया. एक दिन उनको यह पता चल गया और बॅस वही से दूरियाँ ऐसी हुई के तलाक़ तक हो गया… बॅस तुम्हारे चाटने से मेरा काफ़ी माल निकल गया और मुझे फिर से शिमला की यादें आने लगी… अपने अनकंट्रोलबल सेक्स ड्राइव की वजह से मैने किसी के साथ सेक्स नही किया… सोचा था तुम और अनु के साथ शिमला में अपने पुराने अरमान पूरे करूँगी पर आज फिर से मैने वोही ग़लती की और तुम पे भी मार पीट शुरू कर दी
मैं बोला – कोई बात नही आंटी.. मैं पॉवेर प्लस की टॅबलेट खा लूँगा फिर रात में जो मर्ज़ी , जितना मर्ज़ी करना
आंटी भी मुस्कुरा दी.
कुछ देर बाद अनु आ गयी ….. और हम शिमला घूमने निकल गये,
शिमला में आंटी ने मुझे और अनु को अपनी लाइफ के, ख़ासकर अपनी सेक्स लाइफ के सारे राज बताए… आंटी एक न्यंफ़ोमिनियाक (बहुत ज़्यादा सेक्स की भूकि) लेडी थी. वो सेक्स पूरा ना होने पे वाय्लेंट हो जाती और इसी वजह से उनका तलाक़ हो गया था. मेरे आने से उनकी सेक्स ड्राइव भी तेज हो गयी थी. यह सुन कर मैं कुछ डर गया. कुछ परेशान भी हो गया कि कहीं आंटी आउट ऑफ कंट्रोल हो गयी तो भरी जवानी में मेरा क्या होगा.
आंटी – घबराओ नही.. यह देखो मैं अपने पास यह डिल्डो रखती हूँ… पर आज डिल्डो का नही कुछ और ही मूड है.
मैं बोला – वो देखो केमिस्ट, मैं जा के पोवेर पिल्स ले आता हूँ.
गतान्क से आगे............... शिमला घूम के हम डिन्नर बाहर ही कर के होटेल पहुँचे.
मैने दोनो के सॅंडल्ज़ खोले और खुद भी नाइट सूट पहन लिया…
आज आंटी बिना शरम के अनु औरआंटी मेरे सामने पूरी नंगी हो गयी. पहले यह सब रज़ाई में ढाका होता था…. पूरी रात बाकी थी और आंटी ने शुरआत ही बहुत ख़तरनाक की थी…
किस्सिंग के बाद मुझे बाथ टब में भेज दिया आंटी और अनु पूरी तरह नंगी हो के अंदर आ गयी… अनु के हाथ में डिल्डो था.. मैं बाथ टब के हल्के गरम पानी में था…
आंटी ने डिल्डो का स्ट्रॅप मेरे सिर के पीछे ऐसे बाँधा के थोड़ी (चिन) पे डिल्डो आ गया… आंटी डिल्डो को अंदर लाने के लिया, मेरे दोनो तरफ पैर कर के बैठ गयी और डिल्डो पे मज़ा लेने लगी.
आंटी – "सूबी अपनी जीब बाहर निकाल… और जब मैं नीचे होती हूँ तो तेरी जीभ मेरे क्लाइटॉरिस (दाने) को टच करनी चाहिए… अनु तू इस का लंच मुँह में ले लेना… इस को चोदना मत.. अभी तू कवारी है.
अनु – दीदी … क्यूँ ??
आंटी – यह सब अपने हज़्बेंड के लिए रख ले…
अनु – ठीक है.. हा
अनु मेरा लंड चूस रही थी… पानी के बुलबुले बहुत हसीन खेल खेल रहे थे और मेरे मुँह में आंटी का पानी आ रहा था…
आंटी का माल छूटा तो आंटी ने डिल्डो साइड कर दिया और मेरे लिप्स पे आ गयी… मैं उनका माल पीता रहा.. आंटी – सूबी.. चूस्स्स ज़ूर्रररर सीए… उफफफ्फ़… मज़ा आआ. कैसा टेस्ट है मेरे माल का..
मैं क्या जवाब देता… मैं तो साँस भी मुश्किल ले पा रहा था…
अनु से रहा नही गया और वो बोली -"दीडे , प्लीज़ मेरे सेंटर पॉइंट की तडप बहुत ज़्यादा है..
आंटी – अनु तू फिर डिल्डो ले … आजा.. अनु – डिल्डो पे आप का माल लगा है.. मुझे अछा नही लगता.. आंटी – मैं डिल्डो खोल के धो देती हूँ.. अनु – सूबी किस दिन काम आएगा… और अनु ने डिल्डो खोला और मेरे मुँह में डाल दिया…. और मेरा मुँह उस डिल्डो से चोदने लगी… आज मैने यह भी कर के देख लिया के चूस्ते हुए कैसा लगता है…
अनु ने डिल्डो आगे लेने की कोशिश की, पर डिल्डो बहुत मोटा था….
आंटी – तेरी सील इतने मोटे डिल्डो से टूटी तो दर्द बहुत होगा अनु – ठीक है फिर सूबी की जीभ ही सही आंटी हंस दी और मैने जीभ निकाल दी
अनु मेरे मुँह को चोदने लगी और आंटी ने मेरे लंड को अंदर ले लिया… बाथ टब का पानी बहुत शोर कर रहा था.. मुझे भी बहुत आनंद आने लगा…
पोवेर पिल ने अपना कमाल दिखाया और आंटी की अच्छी तरह तसल्ली हो गयी.
अनु अभी भी गरम थी क्यूँ कि मेरी जीभ उसकी प्यास ज़्यादा नही भुजा पाई थी… फिर मैने उंगली उसके अंदर डाली….. एक आगे और अपनी जीभ से उस की बॅक चाटने लगा… आंटी मेरे लंड को कभी चूस्ति कभी चोद रही थी…
अनु – सूबी, पीछे से जीभ हटा और एक उंगले डाल दे….
धीरे धीरे मैने 2 उंगली आगे और एक पीछे डाल दी… और बीच बीच में अपनी जीब से उसके बूब्स चाट्ता रहा…
अनु ने भी कई बार पानी छोड़ा और मेरी प्यास भुज़ाई
सुबह होने वाली थी
हम सब सो गये ….
कल हमे वापिस जाना था… मेरे लिए कल का दिन बहुत इंपॉर्टेंट था… कल छटा दिन था… और सातवे दिन मेरे पेरेंट्स ने वापस आना था