दूसरे दिन मुन्नी स्कूल मे जाने के लिए निकली. साथ मे उसकी सहेली बीना थी. कल शाम को घर वापस आने के बाद मुन्नी ने अपनी मा को अंकल के साथ कुकर्म करते हुवे रंगे हाथ पकड़ लिया था. बाद मे उसने अंकल का लॅंड भी चूस लिया था. मुन्नी की इच्छा तो अंकल का मोटा लंड बर मे घुसेड़नेकी हो रही थी. मगर उसकी मा ने येह कह कर मना कर दिया था कि वो अभी बहुत छोटी है और वैसे भी मुन्नी के पापा काम से वापस आने का वक़्त हो गया था.
कल की वो बाते याद करके मुन्नी मंन ही मंन मुस्कुरा रही थी. बीना ने ताड़ लिया कि कुछ बात है जो मुन्नी उससे छुपा रही थी. आख़िर उसने पूछ ही लिया,"मुन्नी आज तेरे तेवर कुछ बदले नज़र आते है. मंन ही मंन मुस्कुरा रही हो. ज़रा मुझे भी बताओ क्या बात है." इसपर मुन्नी ने मुस्कुरा कर जवाब दिया,"बीना तुम कहती थी ना कि तुम्हारे भैया तुम्हे बढ़िया चोदते है. मैने भी कल चुदाई देखी. मेरी मा कल पड़ोस वाले अंकल के साथ चुदाई कर रही थी. मैं घर पाहूंची तो वो दोनो चौंक गये."
यह सुनकर बिना रास्ते मे ही रुक गयी. "क्या कहेति हो मुन्नी? मैने तो कभी सोचा भी ना था कि तेरी मा ऐसी छीनाल होगी. चाची दिखने मे तो एकदम भोली भाली लगती है. क्या तुम सच बता रही हो?" बिना के लिए यहा बात विश्वास करने योग्य नही लग रही थी.
भरोसा देते हुए मुन्नी ने उसे पूरी बात बताई. वो सुनकर बीना हक्का बक्का रहा गयी. उसे तो इस बात पर नाज़ था कि सारी सहेलियों मे केवल वोही अकेली थी जिसने इस छोटी उमर मे चुदाई का असली मज़ा पा लिया था और वो भी अपने बड़े भाय्या से. लेकिन जब मुन्नी ने उसे बताया कि अभी तक अंकल जी ने उसे चोदा नही था, तब बीना सोचने लगी. उसका भाई आज कल उसके पीछे पड़ा रहता था कि वो अपनी किसी सहेली को फुसला कर ले आए और उनकी चुदाई के खेल मे शामिल कर ले. बीना ने सोचा कि मुन्नी इस काम के लिए ठीक रहेगी.
बीना ने मुन्नी को कहा, "मुन्नी याद है मैने तुम्हे अगले इतवार अपने घर बुलाया था? लेकिन आज ही दोपहर मे चल ना मेरे साथ. भैया तुमसे मिलना चाहते है."
"क्यों मिलना चाहते है तुम्हारे भैया मुझसे? क्या तुम्हारी तरह वो मुझे भी चोदना चाहते है?" मुन्नी पूछ बैठी.
तब बीना कहने लगी,"अरे नही, तुम तो बहन जैसी हो उनके लिए."
"मालूम है, अपनी बहन को रोज चोदने वाले तेरे भाई को अब मुझे अपनी बहन बनाने की क्यों सूझ रही है. पर मैं नही आऊँगी. आज मा ने मुझे कहा है कि स्कूल से सीधा घर आना." मुन्नी कहने लगी.
बीना ने अपनी कोशिश शुरू रखी," अरी मुन्नी तुम भी कैसी नादान हो? स्कूल छ्छूट ता है साढ़े पाँच बजे. हम तीन बजे की छुट्टी के बाद ही मेरे घर चले जाएँगे. फिर तुम पाँच बजे अपने घर चली जाना और मा को बता देना की स्कूल से अभी आई है." मुन्निने ठीक है कहा. तब तक स्कूल आ गया. मुन्नी अपने क्लास मे जा कर बैठ गयी.
तीन बजे उसने अपना बस्ता संभाला और स्कूल के गेट पर आ गयी. बीना उसका इंतेज़ार कर रही थी. दोनो मिलकर बीना के घर के लिए चल पड़ी.
बीना का घर स्कूल से ज़्यादा दूर नही था. घर पहूंचते ही बीना ने दरवाज़ा बंद कर लिया और अपने भैया को आवाज़ दे कर बुलाने लगी. उसका भाई अनिल बाहर आया. मुन्नी को देख कर वो बहुत खुश हुआ. बीना बोल पड़ी,"क्यों भैया, कहा था ना मैने की अपनी प्यारी सहेली को लेकर आऊँगी. देख कौन आया है. मुन्नी, मेरी सबसे प्यारी सहेली."
अनिल मुन्नी को घूर कर देख रहा था. साँवली छरहरी बदन वाली छोटी सी मुन्नी को देख कर अनिल का लंड लूँगी मे उछलने लगा. उसकी बहन बीना अब औरत जैसी नज़र आने लगी थी. दबा दबा कर अनिल ने बीना की छाती को बड़ा बना दिया था. उसकी चूत भी अब ढीली हो चली थी. बीना की उमर अभी केवल पंद्रह साल की थी. मगर उसका भाई पिछले तीन सालों से उसे चोदता आ रहा था. इस कारण अनिल आज कल किसी नयी लड़की की तलाश मे था. और उसने बीना को कह दिया था कि वो उसके लिए किसी नई सहेली का इंतेज़ाम करे वरना वो उसे चोदना छोड़ देगा. यही कारण था कि बिना आज मुन्नी को अपने साथ घर लाई थी.
बीना के मम्मी और डॅडी दोनो दिन मे काम पर जाते थे. इसलिए घर मे अनिल और बिना अकेले रहते थे. आज भी अनिल, बीना और मुन्नी के अलावा वहाँ दूसरा कोई नही था. तीनो बैठ कर बाते करने लगे. बिना ने अनिल को बताया कैसे मुन्नी ने अपनी मा को रंगे हाथ पकड़ा और बाद मे अंकल का लंड चूसा. बीना जब यह बता रही थी तब मुन्नी शरम से चुप बैठी थी.
बीना ने मुंनिको कहा, "आज ज़रा मेरे भैया से मज़ा लेकर देख. अंकल उंकल को भूल जाएगी तू."
"धात, कैसी बेशर्म है रे तू? अनिल भैया को ये सब बताने की क्या ज़रूरत थी? मैने तुझे अपनी सहेली जान कर अपना राज बताया था. अब मैं कभी तुझसे बात नही करूँगी," मुन्नी ने बिगड़ कर कहा. बात बिगड़ती देख कर अनिल बीच मे बोल पड़ा,"अरी नही नही मुन्नी, हम ये बात किसिको नही बताएँगे. तू चिंता मत कर. अगर तुम्हे पसंद नही तो मैं तुम्हे हाथ भी नही लगाऊँगा. आराम से बैठ तू."
बीना ने मुन्नी के लिए शरबत बनाया. अनिल को शराबत का गिलास देते समय अनिल ने बीना की चूतर मे ज़ोर्से चिकोटी काटी."है भैया, क्या कर रहे हो मुन्नी के सामने?" बिना सिल्लाई. "अरी पगली, मुन्नी को एतराज है जब मैं उसे छेड़ू. तुमसे मौज मस्ती करने के लिए थोड़े ही मुन्नी मना कर रही है. सच है ना मुन्नी?" अनिल ने जवाब दिया. "तुम्हारी बहन है, जो चाहे करो. मैं कौन होती हूँ रोकने वाली?" मुन्नी बोली.
अनिल ने बीना को अपनी गोदी मे खींच लिया और उसकी चुचि मसलने लगा. बीना ने मुन्नी की तरफ देख कर आँख मारी और मज़ा लूट ने के लिए तैयार होने लगी. पीछे सरक कर उसने अपनी गंद अनिल के लंड पर रख दी. लूँगी के अंदर से उसके भाई का कड़ा लंड बिना की गंद को कुरेदने लगा. अनिल दोनो हाथों से बिना के मम्मे दबा रहा था. उन दोनो भाई बहन का खेल देखने मे मुन्नी को अब अजीब मज़ा आने लगा.
कुछ देर बाद बीना उठ खड़ी हुई. उसने मुन्नी को कहा,"आगे का मज़ा देखोगी मुन्नी?" मुन्निने सिर्फ़ मूण्दी हिला कर अपनी रज़ामंदी बताई. वहीं हॉल मे बीना कपड़े उतारने लगी. उसने अपना लहंगा खोल दिया. अनिल ने उसके बदनसे लहंगा और बादमे चोली दूर की. ब्रा तो वो पहनती नही थी. मुन्नी की तरफ देखते हुए बिना ने अपनी चड्डी भी उतार दी. मदरजात नंगी खड़ी होकर खुद अपनी बड़ी बड़ी छाती मसल्ते हुए मुन्निसे बोली,"देख भैया ने दबा दबा कर इन्हे बड़ा बना दिया है. तेरे तो अभी एकदम छोटे है. जब छाती बड़ी हो जाती है तब दब्बाने मे बहुत मज़ा आता है. तेरे अंकल ने दबाई थी क्या तेरी छाती?"
"नही रे, मेरी छाती पर है ही क्या दबाने के लिए?" मुन्निने जवाब दिया. "फिकर मत कर. मेरे भैया तेरी छाती को बड़ा कर देंगे मेरी तरह. अभी तू सिर्फ़ देखती जा." बीना ने कहा. फिर वो अपने भाई के पास गयी और उसे कहने लगी,"भैया आपका लंड बाहर कीजिए ना लूँगी से. मुन्नी देखे तो मेरे भैया का मस्त लंड." अनिल ने तुरंत लूँगी खोल दी. उसका काली घने झटों से भरा हुआ मोटा तगड़ा लंड देख कर मुन्नी हैरान रह गयी. हालाकी उसने अंकल का लंड देखा था, मगर अनिल की तुलना मे अंकल का लंड छोटा था. आख़िर अंकल की उमर चालीस के उपर हो गयी थी, जबकि अनिल अभी बीस साल का नौजवान था. "बाप रे, इतना बड़ा लंड कैसे लेती है री तू अपनी चूत में?" वो पूछ बैठी "बस देखती जाओ कैसे लेती हूँ." यहा कहेकर बिना ने भैया के लंड पर ढेर सारा थूक लगाया और अपनी जंघे खोल कर सीधे उस मोटे लंड पर बैठ गयी. हूमच हूमच कर वो अपने भाई के लंड पर धक्के मार रही थी. "आ मुन्नी यहाँ हमारे सामने बैठ कर देख चुदाई का मज़ा." बिना ने चुदते हुए कहा. मुन्नी नीचे फर्श पर उन दोनो के सामने बैठ गयी और नज़दीक से देखने लगी कैसे बिना की चूत लंड को खा रही थी. लंड और चूत की चुदाई से बीना की चूत से सफेद पानी बहते हुए अनिल भैया के आंडों पर आ गया था. मुन्नी से रहा ना गया और उसने अपनी एक उंगली उस पानी पर रख दी. "सिर्फ़ एक उंगली से क्या होता है मुन्नी, पूरे हाथ मे लेकर पकड़ मेरे भैया का आँड.." बिना ने उसे कहा. मुन्नी ने कहा मान कर अनिल की गोटियों को हाथ मे पकड़ कर सहलाना शुरू किया.
मुन्नी के छोटे नाज़ुक हाथों का मज़ा पा कर अनिल भी जोश मे आ गया और नीचे से धक्के मारते हुए अपनी बहना की चूत मे झाड़ गया. उसके लंड से निकला हुआ पानी बीना की चूत से बाहर आने लगा. मुन्निने जीभ लगाकर उसे चाट लिया. खरा स्वाद उसे अच्छा लगा. वीर्य की कुछ बूंदे उसकी फ्रॉक पर पड़ी थी.
बीना अपने भैया के लंड पर से उठ गयी. टवल से अपनी चूत पोंछते हुए मुन्नी से कहने लगी,"क्यों मुन्नी, मज़ा आया क्या हुमारी चुदाई देखते हुए? तुम खेलोगी यह खेल?" इसपर मुन्नी झेंप गयी और कहने लगी,"नही रे बाबा. मुझ मे इतनी हिम्मत नही है. इतना बड़ा लंड और मेरी छोटी सी चूत. फॅट जाएगी. मैं तो सिर्फ़ देखा करूँगी. तुम चोदते रहना."
"ठीक है, लेकिन अनिल भैया का लंड एकबार मुँह मे तो लेकर देख." बीना ने उसे समझाते हुए कहा. "तुम कहती हो तो लेकर देखती हूँ मुँह मे जाता है या नही." ये कहा कर मुन्नी ने अपना छोटा मुँह खोला और अनिल का रज़ और वीर्य से सना हुआ लॉडा मुँह मे लेने लगी. थोड़ा सा ही लंड उसके मुँह मे जा सका लेकिन जितना गया था उसे मुन्नी चूसने लगी. अंकल के बीर्य का स्वाद अलग था. अनिल का बीर्य ज़्यादा गाढ़ा और जायके दार था. उसमे मिले हुए बीना की चूत के रस का स्वाद भी उसे मजेदार लगा.
अनिल का लॉडा चाट कर सॉफ करने के बाद मुन्नी उठी और घर जाने की बात करने लगी. बिना ने उसे बाहों मे भर लिया और उसका मुँह चूमते हुए मुन्नी के मुँह पर लगे अपने भैया के लंड का बीर्य और खुद अपनी चूत के पानी को चाट लिया. "अब कब आएगी मेरी प्यारी सहेली?" उसने मुन्निसे पूछा. "आऊँगी ऐसे ही कभी. पर तेरे भैया का लंड मैं अपनी चूत मे नही लेने वाली इतना याद रख." मुन्निने कहा और घर की तरफ चल पड़ी.
घर पहूंचते ही उसने मा से पूछा,"मा आज अंकल नही आए है क्या?" इसपर मया हंस पड़ी. बोली,"तुझे अंकल से क्या काम? रोज रोज थोड़े ही मैं तुझे अंकल के साथ मज़ा लेने दूँगी." "नही मा मैं तो यूँ ही पूछ रही थी. अंकल रोज नही आते क्या?" मुन्निने फिर पूछा. मा बोली,"आज तेरे अंकल बाहर गये है. मैं भी बेचैन हून उनसे मिलने. पर क्या करू?" मा ने मुन्नी को अपने पास बिठाया. मुंनिके चेहरे पर चमक थी सो उससे छुपी नही. मा पूछने लगी,"कहाँ होकर आई है मेरी बेटी? और तेरी फ्रॉक पेर ये छीटें काहे के है?" मा ने मुंनिके फ्रॉक पर लगी छींटों को सूँघा और तुरंत ताड़ गयी कि ये बीर्य के छींटे है. "बोल कहाँ गयी थी छीनाल तू? ये किसके लंड का पानी अपनी फ्रॉक पर लगा कर आई है?" मा ने आवाज़ चढ़ा कर पूछा.
मुन्नी डर गयी. फिर उसने पूरी बात मा से कह डाली. ये भी बताया कि अनिल भैया का लंड उसने मुँह मे लिया था और उसीकि ये बूंदे है. लेकिन भैया का लंड का साइज़ देखकर वो डर गयी थी और बीना के कहने पर भी चूत मे लंड उसने लिया नही था. मा येह सोच कर शांत हुई कि उसकी मासूम बेटी की चूत अभी फटी नही. उसने मुन्नी को गोदी मे भर लिया और समझाने लगी,"बेटी इसमे मेरी ही ग़लती है. मैं तेरे अंकल के साथ कुकर्म करते हुए पकड़ी ना जाती तो आज तू ऐसी गंदी बाते नही सीखती. तेरी उमर तो अभी पढ़ाई करने की है. मैने ही तुझे ये सब गंदी बतो मे घसीटा है." इतना कह कर मा की आँखों मे आँसू आ गये.
मुन्नी मा को रोती देखकर बोल पड़ी, "नही मा, मैं तो पहले से ही चुदाई के बारे मे जानती थी. बीना ने मुझे सब बताया था वो अपने भाई से कैसे चुद्वति है. उसने अगले इतवार मुझे अपने घर भी बुलाया था. शायद वो अपने भाई के साथ मेरा जुगाड़ करना चाहती थी. मैं भी ये सब देखने जानने के लिए उतावली थी. वो तो अच्छा हुआ कि आप अंकल से चुद्वते मुझे दिख गयी और आप ही ने मुझे सब सीखा दिया. आप मत रोइए."
मुन्नी के इस कहने पर मा को राहत महसूस हुई. मा मुन्नी को समझाने लगी,"देख बेटी, जो हुआ सो हुआ. अब आगे एक बात का ख़याल रखना कि जब तक तू बड़ी नही हो जाती, अपनी चूत मे किसी का लंड नही लेना. हाँ मुँह मे ले सकती है. हाथ मे पकड़ सकती है पर चूत मे नही. समझी?"
"ठीक है मा, लेकिन जब किसिको चुद्वते देखूं तो मेरी भी चूत मे कुछ कुछ होने लगता है. ऐसे लगता है कि कोई लंड मेरी भी चूत मे घुस जाए तो मज़ा आएगा. तब मैं क्या करू?" मुन्नी ने मासूमियत से पूछा.
मा हंस कर कहने लगी,"अरी पगली, इसका उपाय बताती हूँ तुझे. जब मन करता है लंड लेने को तब अपनी उंगली से अपनी चूत की खुजली शांत कर लेना."
"वो कैसे मा? आप बताइए ना मुझे. फिर मैं नही लूँगी किसिका लंड." मुन्नी ने कहा.
मा ने सोचा कि अगर इसे ठीक से नही बताया कि औरते मुठ्ठी कैसे मारती है, तो ये नादान बच्ची किसिके लंड की शिकार हो जाएगी. मुन्नी के सामने वो पहले ही खुल गयी थी. उसने कहा,"ठीक है बेटी. तू दरवाजा बंद करके आ मैं तुझे बताती हूँ."
मुन्नी दौड़ कर दरवाजा बंद करके वापस आई. मा ने उसे अपने पलंग पर बिठाया और अपनी साडी खोल कर उसके सामने दोनो टाँगे फैला कर बैठ गयी और मुन्नी को समझाने लगी. "देख बेटी, जब तेरा मन करता है लॉडा लेने को तब ऐसे अपनी चूत खोल कर बैठना. फिर एक हाथ से चूत को ऐसे चिदोरकर खोलना. दूसरे हाथ की एक उंगली अपनी थूक से गीली करके ऐसे यहाँ धीरे धीरे रगड़ना." मा मुन्नी को ये सब कहते हुए साथ मे खुद करके भी दिखा रही थी. उसे भी मज़ा आने लगा था. आज मुन्नी के अंकल भी नही आए थे. उसकी चूत चुदसी हो गयी थी. अपनी बेटी के सामने चूत फैलाकर उंगली करने से उसकी चूत पानी से भर आई थी.
मुन्नी पूछती ,"मा ये क्या है आप की चूत के उपर जो अभी फूला हुआ है?" माने समझाया कि यहा क्लाइटॉरिस है. इसपर उंगली रगड़ी तो बहुत मज़ा आता है. मा अब अपनी क्लाइटॉरिस रगड़ने लगी. उसकी मस्ती बढ़ने लगी तब उसने दो उंगलियाँ चूत के छेद मे डाल दी और बुर मे उंगली करते हुए अपनी बेटी को समझाने लगी,"देख मुन्नी, मेरी चूत अब चौड़ी हो गयी है. इसलिए इसमे एक साथ दो क्या चार उंगलियाँ भी घुस सकती है. लेकिन तू अपनी छोटी सी छेद मे पहले केवल एक ही उंगली डालना. बाद मे जब तेरी चूत ढीली हो जाएगी तब दो या तीन उंगली डाल सकती है. चूत मे उंगली डाल कर ऐसे हिलाई जाती है. पहले धीरे धीरे और बाद मे जब ज़्यादा मज़ा लेना हो तब ज़ोर ज़ोर से उंगली करना."
मा खुद अपनी उंगली की रफ़्तार बढ़ाकर झरने लगी. मुन्नी के सामने झरते हुए वो आँखें बंद करके चुप चाप मज़ा लेने लगी. मुन्नी भी मा को इस तरह झरते हुए देखकर गरम होने लगी. उसने अपनी चड्डी बाजू हटा कर अपनी बुर रगड़ना शुरू किया. मा देर तक झरती रही. फिर आँखे खोल कर देखी तो उसे पता चला कि मुन्नी गरम हो चुकी है और अपनी बुर पर उंगली रगड़ रही है. लेकिन अभी मुन्नी को वो क्रिया ठीक से नही जम रही थी.
तो दोस्तो कैसा मासूम मुन्नी का ये दूसरा पार्ट पूरी कहानी जानने के लिए मासूम मुन्नी का तीसरा पार्ट पढ़ना ना भूले